डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी की कुण्डलिया
कहता हरिहरपुर यही, रहो काम से काम।
केवल अपने काम को, करते रह अविराम।।
करते रह अविराम, काम सुंदर सा करना।
खुद को सहज सँवार, स्वयं अपने दुख हरना।।
कहें मिसिर कविराय, कष्ट अपना जो सहता।
चलता अपने पंथ, स्वयं से सबकुछ कहता।।
Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:39 PM
Nice
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:24 PM
Nice 👍🏼
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Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:39 PM
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:24 PM
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